ये दुनिया
नज़्म है एक
या कोई ग़ज़ल
या फिर सुरीला गीत
नही जनाब,
यह दरअसल
चंद मज़लूम हाथों की
बनाई इक तस्वीर है
तस्वीर जिसमें
बनाने वालों ने
बजाये रंग के
मिलाया है अपना लहू
और फिर अपनी हड्डियों के
फ्रेम वाले कनवास पर
सजाकर मानिंद ए वरक़
इसे किस जतन से बनाया है
इन तामीर करने वाले हाथों ने
इसे क्या खूब सजाया है
~इमरान~
बेहद मार्मिक कविता ......
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मित्र
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