मंगलवार, 1 सितंबर 2015

नहीं मैं ऐसा पर्वतारोही

नही मैं ऐसा पर्वतारोही

कि पहुंच सकूँ

तुम्हारे शिखर तक

मैं तो बस पास के

अलग अलग संभव शिखरों पर चढ़कर

अलग अलग कोणों से

देखना चाहता हूँ

तुम्हारी गर्वीली ऊंचाई

पहले दूर से

फिर और निकट

और निकट जाते हुए

जहाँ तक

जा पाना संभव हो

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