तुम आखिर
कितना लिखोगे साथी
ये सिद्धांत वो प्रयोग
यह दल वो दलदल
ये लाइन पर हैं
तो वो बे-लाइन के
तुम आखिर कब तक
और कितना लड़ोगे साथी
ट्रेड यूनियन की तुम्हारी
ये सालाना हड़तालें
तुम्हारे ये समझौतावादी संघर्ष
तुम आखिर कब सुधरोगे
तुम कितना पढ़ोगे साथी
अच्छा इतना ही बता दो
कि इतना पढ़ लिखकर
मार्क्सवाद के प्रोफ़ेसर बन
तुम आखिर क्या करोगे साथी,
नक्सलबाड़ी से कुछ
बूढी माओं ने अपनी
पथराई सी आँखों से
तुम्हे भेजा है लाल सलाम
उसका जवाब कब दोगे साथी
खुद को माओवादी कहकर
क्यों शर्मिन्दा करते हो
तुम माओ की शिक्षा को,
उनकी वास्तविक शिक्षा पर
तुम आखिर कब चलोगे साथी
एक साइंसी तजुर्बे के साथ
उन मज़दूरों के बीच
शोषितो वंचितों पिछड़ों
और इन दलितों के पास
तुम आखिर कब जाओगे साथी
क़लम बहुत घिस चुके हो
अब किताबें पलटना भी
बंद ही कर दो तुम
मुझे तो बस इतना बता दो
ज़मीं पर कब उतरोगे साथी
ज़मीं पर कब उतरोगे साथी....
~इमरान~
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