मंगलवार, 9 जून 2015

तुम तन्हा नही हो

रातें होती हैं
कई नींद से खाली
कभी सांसो से
होता है नदारद जीवन,
इसका मतलब मगर
हरगिज़ ये नही ,
की न आएगी
सुबह उजली कोई जाना
तुम सुनो मेरी बात
इक काम करो तुम
अपने दिल की सभी
तल्ख और तकलीफदेह
यादों को माज़ी की
मेरे हवाले कर दो
मैं इन्हें दफ़्न ज़मीं में करके
सुबह ए नौ की
तज़ादमी के सारे लम्हात
उतार दूंगा तुममें
चीनी मिटटी के कप में फिर
किसी गर्म चाय की मानिंद
उलट के तुम्हारे दर्द
सारी टीसें और तकलीफें
पी जाया करूंगा
ये अवसाद की पैरहन
फैंक वीरान किसी सहरा में
लिपट के मेरे काँधे से
तुम जी भर के किया करना
शिकवा ए अमन जाना
मैंने किया है न
सच्चा वादा तुमसे,
कोई तकलीफ तुम्हे,
सहने दूंगा नहीं तन्हा जाना....
~इमरान~

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