मेरे दिल की
आवाज़ का जवाब
हर बार जो
पलट आती थी
कहीं किसी
निर्वात से टकराती
लौट आया करती थी
तनहा अकेली सी
इस बार वो आई है
मय इक जवाब के
जवाब की शक्ल में
एक मुस्कुराता चेहरा
एक जोड़ी मासूम आँखें
और इक प्यारा
अपना सा लगता
हंसीं वजूद लेकर
आवाज़ पलटी तो है
वो लौटी भी है
इस बार मगर
तन्हा नहीं
मेरे दिल के लिए
आई है वो
अमन लेकर.....
आवाज़ का जवाब
हर बार जो
पलट आती थी
कहीं किसी
निर्वात से टकराती
लौट आया करती थी
तनहा अकेली सी
इस बार वो आई है
मय इक जवाब के
जवाब की शक्ल में
एक मुस्कुराता चेहरा
एक जोड़ी मासूम आँखें
और इक प्यारा
अपना सा लगता
हंसीं वजूद लेकर
आवाज़ पलटी तो है
वो लौटी भी है
इस बार मगर
तन्हा नहीं
मेरे दिल के लिए
आई है वो
अमन लेकर.....
~इमरान~
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