मंगलवार, 9 जून 2015

दिल की आवाज़ का जवाब

मेरे दिल की
आवाज़ का जवाब
हर बार जो
पलट आती थी
कहीं किसी 
निर्वात से टकराती
लौट आया करती थी
तनहा अकेली सी
इस बार वो आई है
मय इक जवाब के
जवाब की शक्ल में
एक मुस्कुराता चेहरा
एक जोड़ी मासूम आँखें
और इक प्यारा
अपना सा लगता
हंसीं वजूद लेकर
आवाज़ पलटी तो है
वो लौटी भी है
इस बार मगर
तन्हा नहीं
मेरे दिल के लिए
आई है वो
अमन लेकर.....
~इमरान~

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