मंगलवार, 9 जून 2015

तुम बिलकुल उर्दू जुबां सी हो

तुम बिलकुल
उर्दू ज़ुबाँ सी हो
की तुम्हारे
होंटो में शीरीनी,
आँखों में शबनम
और हाथों में लम्स,
सीने पर राहत
और दिल में अमन,
और उस अम्न में,
मैं बसा करता हूँ,
कि तुममे बसने से ,
मक़सद मिला करता है,
बिलकुल उर्दू ज़ुबाँ सा,
एहसास हुआ जाता है,
एहसास जिसमें डूब कर,
उतर जाने से,
रूह ए नातवां को,
राहत सी मिला करती है,
दिल ए बे गुमां को,
एक गुमां हो जाता है,
गुमाँ जो,
सच जैसा है,
दरअसल सच ही तो है,
कि तुम
ज़िन्दगी हो मेरी,
ज़िन्दगी जो
बसती है मुझमे,
जो मेरे वजूद में
जिया करती है,,
उर्दू की तरह
इठलाती सी,
सिमट जाया करती है,
वजूद में मेरे


~इमरान~

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