मंगलवार, 31 मार्च 2015

आतंकवादियो पर लाख लानतें और वशिकुर रहमान को सलाम !!

ग्रेजुएशन के ज़माने में एक बार मैं अपने कुछ मित्रों के साथ एक मानसिक अस्पताल गया था, वहां हमें अपने एक मित्र के भाई को देखने जाना था जो उस चिकित्सालय में कई दिन से भर्ती थे,

दरअसल भाईसाहब को गांजा पीने की बुरी लत लग गयी थी,उसके अलावा भी कुछ छोटे मोटे नशे वो करने लगे थे,उनकी ये आदत इतना ज़्यादा बढ़ी की एक दिन नशे ने उनका दिमाग ले लिया और बेचारे पागल हो गए,

अब उन्हें एक कमरे में अलग रखा जाता था, जो डॉक्टर उनका इलाज करने जाते वो उन्ही से हाथापाई करने की कोशिशें करते, बड़ी मुश्किल से उन्हें हाथ पाँव से पकड़ कर जांच की जाती और दवा वगैरह दी जाती थी,

भाईसाहब अपनी खराब मानसिक स्थिति और नशे के दुष्प्रभावों के चलते यह समझ सकने में असमर्थ हो गए थे कि आने वाले डॉक्टर्स उनके भले और सेहत के लिए ही उन्हें दवा इत्यादि दे रहे हैं,

बांग्लादेश में अभी दोबारा एक नास्तिक ब्लॉगर की हत्या इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा कर दी गयी....खबर सुनते ही मेरे ज़ेहन में भाईसाहब वाला किस्सा गूंज गया, ये मज़हबी लोग भी दरअसल धर्म के लगातार नशे के कारण सही और गलत में तमीज़ करने की अपनी सलाहियत खो बैठे हैं,

हालत यह है कि अगर कोई तार्किक / वैज्ञानिक सोच रखने वाला सामान्य इंसान इनके बीच इन्हें समझाने बुझाने (इनका इलाज करने) जाता है तो ये उसके साथ भी वही व्यवहार करने लगते हैं जैसे एक मानसिक रोगी अपनी चिकित्सा के लिए आने वाले डॉक्टरों के साथ करता है,

एक मानसिक रोगी (पागल नहीं) और एक कट्टरपंथी धार्मिक ( यानि पक्का पागल) में एक फर्क बस इतना होता है कि मानसिक रोगी यह सब कुछ् बदहवासी और बेहोशी के आलम में करता है और मज़हबी लोग यही काम पूरे होशोहवास में बाक़ायदा योजना बनाकर अंजाम देते हैं....

कानून भी इनका जल्दी कुछ नही बिगाड़ पाता क्योंकी इंसाफ देने वाले सिस्टम में भी इनके जैसे कुछ पागल बैठे ही रहते हैं....

ना जाने धरती को इन पागलों से मुक्ति कब मिलेगी और ना जाने कब दुनिया एक धर्म/मज़हब विहीन महज़ स्वस्थचित्त इंसानों के रहने लायक बन सकेगी,

बहरहाल, किसी विकृतचित्त मानसिकता वाले की हरकतों के चलते जिस तरह एक डॉक्टर इलाज करना नहीं छोड़ देता उसी तरह चंद मज़हबी पागलों की हरकतो के चलते इंसानियत का परचम बुलंद करने वाले अविजित,पनसरे,दाभोलकर,और हालिया ताज़ा शिकार वशिकुर रहमान भी आने वाली नस्लों को इनके मज़हबी नशे की लत से दूर रहने और तार्किक मानवतावादी इंसान बनने का पैगाम देते रहने के अपने फरीज़े से पीछे नही हट सकते,

ये इनकी हत्याएं करते रहेंगे और इसी प्रकार अपनी मूर्खताओं से इनके पैगाम को और भी ज़्यादा ताक़तवर और मशहूर बनाते रहेंगे ।

आतंकवादियो पर लाख लानतें और वशिकुर रहमान को लाल सलाम !!

~इमरान~

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