रविवार, 2 अगस्त 2015

आँखों देखी

आँखों देखी
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मंदिर के अंदर भजन चल रहा था, "रामचंद्र कह गए सिया से.." बाहर एक सब्ज़ी के ठेले के पास दो मुसलमान मज़दूर खैनी रगड़ते हुए आपस में बातें कर रहे थे, भजन की आवाज़ कान में पड़ने पर एक मज़दूर दूसरे से शिकवे भरे लहजे में बोला, "देखेओ ! रामचंदर जी को भी जोहन कुछ कहना रहा सब सिया (शिया) लोगन से ही कह के गए रहे, सुन्नी मसलक के लोग से कुछ न कहिन.......!

दुसरा दृश्य,- एक धर्मशाला के पास मैदान में चुनावी जनसभा चल रही है,मंच से वर्तमान विधायक भाषण दे रहे हैं,
"मैंने निधि का लगभग सारा पैसा खर्च कर दिया है दोस्तों, 75 लाख रूपये सीधे बिजली के कामों में दिए जिसका परिणाम आपको बहुत जल्दी जनपद के नए सिरे से विधुतीकरण के रूप में नज़र आने वाला है"
सबसे आखिरी पंक्ति में खड़े बीड़ी पीते हुए भाषण सुन रहे लोग आपस में टुकुर टुकुर एक दूसरे को ताकने लगते हैं
-"अब निधि का करीहे बिचारी,ओकरा पैसवा कुल बिधायक ले लिहन,,,
दूसरा बोला-और सारा खरचौ कर दिहन, बेचारी औरत जात,
तीसरा-कहाँ जईये केसे रोइहये अपना दुखड़ा...!बहुत गलत कीहन नेता ई काम,बिजली ससुर का अत्ति जरूरी रही?

तीसरा सीन- हलवाई की दूकान पर रखे टीवी में अमिताभ बच्चन की फ़िल्म शान का टाइटल सांग चल रहा है, छनती जलेबी निकलते देख रिक्शे वाला रुक गया,सवारी से इल्तजा की भाईसाहब बच्चों के लिए लेता चलूँ... सवारी मान गयी,इतने में हलवाई के लड़के ने टीवी का चैनल बदलना शुरू कर दिया, एक न्यूज़ चैनल पर मुख्यमंत्री उप्र भाषण दे रहे थे, रिक्शे वाले ने देखा, बगल खड़े एक चश्मा लगाये सज्जन से पूछ बैठा-"यहु नेता हैं का?"
जवाब मिला-"ई मुलायम सिंह के लरिका हैं,
अच्छा कौन लम्बर के?
बड़के हैं, ईनकर नाम है अखिलेस... मुखमंतरी"
रिक्शे वाले को बड़ी हैरानी हुई, तो अब नखलऊ के मंतरी ई बन गए?और मुलायम सिंग कहाँ गए?
"ऊ अब रिटायर होके दिल्ली चले गए",
मुख़्तसर जवाब दे कर चश्मे वाले सज्जन अपना सामान लेकर बढ़ दिए....
इधर रिक्शे वाला नेताजी के लिए चिंतित हो उठा,जलेबी की पुड़िया रिक्शे के हैंडल से लटकाकर सवारी से बतियाता हुआ आगे बढ़ा-"बताइये बहनजी,आज कल के लईका लोग,तनिकौ बड़ा हुए नही की बाप माँ को दिल्ली उल्ली भेज देवत हैं कुल अपना कब्जियाए के चक्कर में...भारी कलजुग है बड़ा...!
सवारी चुपचाप बैठी बिना कोई जवाब दिए अपने मोबाइल के टचपैड पर उंगलिया फिसलाती रही...

चौथा और फिलवक्त याद आखिरी मंज़र- दो लम्बे बालों वाले पढ़े लिखे से लगते लड़के एक रिक्शे पर बैठे,
उनमे से एक मज़ाक के मूड में लग रहा था,
उसने रिक्शे वाले से मौज लेना शुरू कर दी,रिक्शे वाला भी हाँ में हाँ मिलाने लगा...
लड़के ने कहा-भईया लाल सलाम"
जवाब मिला
आपको भी लाल शलाम,
लड़के ने पूछा- जानत हो लाल सलाम का होवत है?
"हाँ जानते काहे नही हैं!"
लड़का इस बार ज़रा हैरानी से बोला, बताओ का जानत हो...?
"वो जैसे जयराम जी की,अस्सलामवालेकुम, वैसे ही लाल शलाम भी होता है.."
लड़का अवाक् सा रह गया.... रिक्शा अब तक घंटी बजाते हमारी नज़रों से ओझल हो चुका था....

~इमरान~

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