तुझे कब्र में किस तरह उतारूं मेरी बच्ची
अभी तो तुझे जी भर के देखा नहीं था,
हाथ मेरे कफ़न तुझको पहनाएं क्यूँकर,
इन हाथों ने तुझे ईद का जोड़ा देना था,
मेरे आंगन में तेरी किलकारी गूँजती थी,
अब वहां तेरी मौत का पसरा है मातम ,
तुम्हारी माँ को दूँ मैं कैसे दिलासा,
बताऊँ क्या ज़ालिम ने किया है सितम,
तुझे कब्र में किस तरह उतारूं मेरी बच्ची,
अभी तो तेरा बचपन शुरू भी न हुआ था,
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें