कोई बेहद हसीं सी,
वरक़ दर वरक़,
पढ़ी जाने वाली,
इब्तिदा ए इश्क़ के जैसी,
इंतहा ए उल्फत सी नुमायाँ,
रौशन इबारत सी उजली,
तेरी आँखों से उतर,
मेरे सीने में तैरती,
फिर हमारी साँसों में,
तेरे होंठो के कनारों से,
दरमियाँ हमारे लबों तक,
वरक़ दर वरक़,
कही जाने लगी,
कोई कहानी बेहद हसीं,
अपनी सी लगती,
फिर लिखी जाने लगी....
~इमरान~
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